गैरों पे करम, अपनों पे सितमःदादा ये क्या कर डाला

जिससे राहत की उम्मीदें थीं उसी ने अपना पिटारा खोल दर्द बांटने की कवायद शुरु कर दी....किचेन का बजट गड़बड़ाता नज़र आया और आम आदमी की थालियां पहले से महंगी हो गईं.....सैलरी मिलने से पहले से चुकाया जाने वाला टैक्स पहले से ही रुला रहा था...लेकिन राहत के नाम पर आयकर छूट में महज 20 हज़ार की बढ़ोतरी....अभी पेट्रोल की क़ीमतें बढ़ेंगी ये सोच कर कलेजा बैठा जा रहा था....घर के कामकाज से थकी-मादी पत्नी को कभी-कभार बाहर ले जाकर खिलाने के सिलसिले में भी अड़चनें आती दिखीं....अब होटलों में बतौर सर्विस टैक्स ज्यादा रकम जो चुकानी पड़ेगी.....टेलीफोन के बिलों में बढ़ोतरी होगी सो अलग.....फिक्र को धुंए में उड़ाना भी पहले से महंगा हो चला.....आम आदमी का दिल बैठा जा रहा था...जहां ग़रीबों की जेबें ढीली कर...कॉरपोरेट्स के खजाने भरने की साजिशें चल रही हो...उस देश का भगवान ही मालिक है....लेकिन तभी क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने देशभर के दुखियारों का दुख मिटा डाला...बजट से मुरझाए आम आदमी के चेहरे पर तब मुस्कान तैरने लगी जब सचिन ने अपना सौंवा शतक लगा दिया.....वित्तमंत्री के डंडे की चोट का असर जाता रहा........ले ले सरकार जो लेना चाहती है.....लेकिन अब इस मौक़े पर खुश होने से भला हम क्यूं चूकें.....ये वो पल है जो आजतक किसी ने नहीं देखा....आने वाली पीढ़ियां कभी किसी को सौंवा शतक जड़ते देख सकेंगी या नहीं ये भी नहीं पता..... आम आदमी फिर मुस्कुराने लगा....उधर सरकार ने भी राहत की सांस ली....चलो मीडिया से पिंड छूटा....सचिन ने अपना महाशतक लगाया तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स का एक मसखरा जुमला कम हो गया ...जिसमें कहा जाता था कि महाशतक को राष्ट्रीय प्रतीक्षा का दर्जा दे देना चाहिए....लेकिन इंतजार भारतीयों की नियति है....लिहाजा महंगाई से कब तक निजात मिलेगी इसका इंतजार जारी है....

किसका बजटः बजट को लेकर सवालों के घेरे में सरकार है और विपक्ष की ओर से लगातार इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं....भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस  बजट के जरिए सिर्फ कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाया है....दादा के बजट में टैक्स का बोझ है....सब्सिडी में कटौती के संकेत हैं ...पूरा देश डर रहा है....क्योंकि सब्सिडी घटने का मतलब है डीजल पेट्रोल कैरोसिन और एलपीजी की कीमतें बढ़ेंगी......ये वो जरूरते हैं जिनका असर आम आदमी की रसोई और थालियों पर पड़ता है....यानि कि साफ है दादा ने घर का बजट बिगाड़ने की पूरी तैयारी कर ली है...बजट को लेकर अभी चर्चा जारी है.....ये कितना आम जनता का बजट है और कितना बाज़ार का ...इसपर भी बहस की गुंजाइश बेशक बनती है....लेकिन इस माथापच्ची के बीच दादा ने जो हंटर दे मारा है....उसे झेलना तो आम जनता को ही है...ये सबकुछ तब हो रहा है जब पीएम ये दावा करते हैं कि भारत विकसित होने की ओर बढ़ चला है....अर्थशास्त्री आंकड़ों का लॉलीपॉप देकर बार बार ये बताने की कोशिश करते हैं कि देश विकास कर रहा है...सवाल ये कि कहां है विकास और कैसा है विकास और इस विकास की कीमत अगर दादा के इस बजट से चुकानी पड़ेगी तो विकसित देश में जीने के लिए  बचेगा कौन...विदर्भ में किसानो के लिए बजट में प्रावधान किया गया ये बताने के लिए कि सरकार किसानों को लेकर खासी चिन्तित है...लेकिन वहीं ईपीएफ में ब्याज दरें 9.5 फीसदी से घटाकर 8.25 फीसदी करके पांच करोड़ नौकरी पेशा लोगों की जेब काट ली गई....सवाल ये कि किसानों को फायदा होगा कि नहीं होगा ये तो बाद की बात है...लेकिन 12 से 14 घंटे काम करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई जमा करने वालों को भी मिल रहे फायदे से उन्हे महरूम करना कहां तक जायज है.....किसानों को कितना फायदा होगा ये समझना भी मुश्किल नहीं.....क्योंकि सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं ये एक कड़वा सच है.....अनाज पैदा होता है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं होता ये भी एक हकीकत है.....अनाज खरीद भी लिया तो गोदामों में सड़ जाता है ये असलियत है...और जब राशन की दुकानों पर आम लोग उसी राशन को खरीदने जाते हैं तो दुनिया भर के टैक्स थोप कर ये बताया जाता है कि ये इम्पोर्टेड अनाज है इसलिए अगर इसे खरीदना है तो चुकाना ही होगा...जाहिर है बजट किसका है और इसमें आम आदमी की कितनी हिस्सेदारी है...आम आदमी का कितना हित है...कितना फायदा मिलना है...ये ऐसे तमाम सवाल है जिनका जवाब प्रणब दा ने नहीं दिया....सियासत का दस्तूर है सत्ता पक्ष तारीफ करता है और विपक्ष आलोचना...बजट के बाद वही हो रहा है....लेकिन इन सबके बीच इतना साफ हो चुका है कि देश के लोगों को कम से कम साल भर तो आधा पेट ही खाना होगा.....आगे का भगवान मालिक है...

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