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16 अप्रैल 1853 को स्थापित हुई थी भारतीय रेल..150 सालों से एशिया के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क का तमगा है हमारी भारतीय रेल के सिर पर...हर रोज करीब पौने दो करोड़ लोग यात्रा करते हैं हमारी रेलवे से...इतने रिकॉर्ड...इतनी उपलब्धियां है हमारी रेलवे के खाते में कि गिनना मुश्किल है...मगर ये सिर्फ किताबी हैं...असल में भारतीय रेल अव्यवस्था और असुरक्षित सफर की कहानी बन चुकी है...रेलवे की हालत सुधारने की तमाम कोशिशें हुईं मगर बात बनी नही...ट्रेन हादसे और ट्रेनों में होने वाली वारदातें भी थमी नहीं है...सवाल उठता है कि आखिर बुनियादी सुविधाएं सुधारे बगैर सफर सुरक्षित कैसे होगा...आखिर यात्रियों के लिए कब तक रेलवे का सफर खौफनाक बनता रहेगा..हिन्दुस्तान में यातायात के लिए सबसे बड़ा साधन है रेलवे...हर दिन करोड़ों लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाने वाली रेलवे नेटवर्क और स्ट्रैंथ के मामले में दुनिया में स्थान रखती है...मगर हिफाजत के सवाल पर रेलवे की सूरत ना कल बदली थी ना आज बदली है...खासकर रेल में सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा का सवाल हमेशा ही उलझा रहा है...पश्चिमी चंपारण जिले के बे